ITC Century Acquisition Uttarakhand Deal: 31 मार्च 2025 को ITC लिमिटेड ने एक बड़ा कदम उठाया—उसने अदित्य बिरला रियल एस्टेट लिमिटेड (ABREL) से सेंचुरी पल्प एंड पेपर (CPP) को 3,498 करोड़ रुपये में खरीद लिया। यह इकाई उत्तराखंड के लालकुआं में स्थित है और ITC के पेपरबोर्ड बिजनेस को मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। लेकिन सवाल उठता है: क्या यह सौदा उत्तराखंड के लिए वरदान साबित होगा या अभिशाप? इस लेख में हम तथ्यों के आधार पर इसकी पूरी पड़ताल करेंगे ताकि आपको कहीं और जाने की जरूरत न पड़े।

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ITC Century Acquisition Uttarakhand Deal: सौदे का पूरा ब्यौरा
ITC ने सेंचुरी पल्प एंड पेपर को खरीदकर अपनी पेपर प्रोडक्शन क्षमता को 8 लाख मेट्रिक टन (MT) से बढ़ाकर 12.8 लाख MT कर लिया है। यह 60% की वृद्धि है और अब ITC भारत के कुल पेपर उद्योग की 6.5% क्षमता नियंत्रित करता है। CPP, जो 1984 से चल रहा है, प्रीमियम कागज, बोर्ड, टिश्यू और पल्प बनाता है। दूसरी ओर, अदित्य बिरला समूह इस बिक्री से अपने रियल एस्टेट बिजनेस पर फोकस करना चाहता है।

ITC Century Acquisition Uttarakhand Deal Highlights
विवरण | जानकारी |
सौदे की राशि | 3,498 करोड़ रुपये |
स्थान | लालकुआं, उत्तराखंड |
ITC की नई क्षमता | 12.8 लाख MT (पहले 8 लाख MT) |
CPP का EBITDA | 506 करोड़ रुपये (5 साल का औसत) |
उद्योग में हिस्सेदारी | भारत का 6.5% पेपर उत्पादन |
उत्तराखंड के लिए वरदान: आर्थिक और सामाजिक फायदे
1. रोजगार के नए अवसर
- CPP वर्तमान में लालकुआं में सैकड़ों लोगों को नौकरी देता है।
- ITC, जो अपने भद्राचलम प्लांट में 1,800 प्रत्यक्ष और 3,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां देता है, इस इकाई को और बड़ा कर सकता है।
- उत्तराखंड के युवाओं के लिए कौशल विकास और रोजगार की संभावना बढ़ेगी।
2. सप्लाई चेन में मजबूती
- CPP का उत्तर भारत में मजबूत बाजार है, जबकि ITC की इकाइयां दक्षिण में हैं।
- उत्तराखंड अब पेपर सप्लाई का हब बन सकता है, जिससे स्थानीय व्यवसायों को फायदा होगा।
3. निवेश की उम्मीद
- ITC ने भद्राचलम में 2,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है और अगले 5 साल में 1,000 करोड़ रुपये और लगाने की योजना है।
- अगर लालकुआं में भी ऐसा निवेश हुआ, तो उत्तराखंड की औद्योगिक प्रगति को रफ्तार मिलेगी।
उत्तराखंड के लिए अभिशाप: संभावित जोखिम
1. पर्यावरण पर खतरा
- पेपर उद्योग पानी और ऊर्जा की भारी खपत करता है।
- उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में जंगल और नदियों पर दबाव बढ़ सकता है।
- हालांकि CPP अपनी स्थिरता के लिए जाना जाता है और ITC ने 2030 तक कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य रखा है, लेकिन बड़े पैमाने पर उत्पादन से पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ सकती है।
2. छोटे उद्योगों पर असर
- ITC की बढ़ती ताकत से उत्तराखंड के छोटे पेपर निर्माता दबाव में आ सकते हैं।
- बाजार में एकाधिकार की स्थिति स्थानीय व्यवसायों के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
3. कर्मचारियों की अनिश्चितता
- क्या ITC मौजूदा कर्मचारियों को रखेगा या नई तकनीक लाएगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।
सच क्या है?
ITC Century acquisition Uttarakhand Deal का असर इस बात पर निर्भर करता है कि ITC इसे कैसे लागू करता है। अगर कंपनी स्थानीय संसाधनों का सम्मान करते हुए निवेश और रोजगार बढ़ाती है, तो यह उत्तराखंड के लिए आर्थिक सुनहरा मौका हो सकता है। लेकिन पर्यावरण और छोटे व्यवसायों की अनदेखी हुई, तो यह लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकता है। ITC का पिछला रिकॉर्ड—जैसे इसके एग्रोफॉरेस्ट्री प्रोग्राम से 4 मिलियन किसानों को फायदा—सकारात्मक संकेत देता है। सच का खुलासा समय बताएगा।
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FAQ Related To ITC Century acquisition Uttarakhand Deal
ITC अपने पेपरबोर्ड और पैकेजिंग बिजनेस को मजबूत करना चाहता है। CPP की 4.8 लाख MT क्षमता और 506 करोड़ रुपये का EBITDA इसे तुरंत लाभकारी बनाता है।
लालकुआं में रोजगार और सप्लाई चेन में सुधार तुरंत संभावित फायदे हैं। ITC का निवेश राज्य की अर्थव्यवस्था को गति दे सकता है।
हां, पेपर उत्पादन से पानी और ऊर्जा की खपत बढ़ सकती है। लेकिन ITC के सस्टेनेबिलिटी लक्ष्य इसे कम करने की कोशिश कर सकते हैं।