दोस्तों, अगर आपने भी जस्टिस यशवंत वर्मा के बारे में फैली अफवाहें सुनी हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए है। सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार इस मामले पर चुप्पी तोड़ी है और साफ-साफ बताया है कि क्या है सच्चाई। पढ़िए ये आर्टिकल अंत तक, क्योंकि यहां आपको सब कुछ मिलेगा!

क्या है पूरा मामला?
21 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऑफिशियल स्टेटमेंट जारी किया, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद मिले नकदी के ढेर को लेकर चर्चा की गई। मीडिया और सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर काफी बवाल मचा हुआ था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि क्या है सच्चाई।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
- ट्रांसफर और जांच अलग-अलग मामले हैं: सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके पैरंट कोर्ट, यानी इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने का प्रस्ताव, आग और नकदी वाले मामले से अलग है। ये ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च 2025 की मीटिंग में तय किया था।
- क्या है कॉलेजियम का प्लान? कॉलेजियम ने इस ट्रांसफर को लेकर CJI संजीव खन्ना की अगुआई में चर्चा की और जस्टिस वर्मा, दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, और अन्य जजों से फीडबैक मांगा है। फाइनल डिसीजन इन फीडबैक्स के बाद ही आएगा।
- इन-हाउस जांच चल रही है: इससे पहले ही, दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने इस मामले की जांच शुरू कर दी थी। इस जांच में सभी सबूत और जानकारी जुटाई जा रही है, और 21 मार्च 2025 तक इसकी रिपोर्ट CJI को सौंप दी जाएगी।
अफवाहों पर सुप्रीम कोर्ट का एक्शन
सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि “गलत जानकारी और अफवाहें” फैलाई जा रही हैं। कोर्ट ने लोगों से अपील की कि वो नकदी के मामले और जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर को सीधे जोड़कर न देखें। ये ट्रांसफर एक प्रोसीजरल स्टेप है, न कि कोई फाइनल एक्शन।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का स्टैंड?
- पारदर्शिता बनाए रखना है मकसद: सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वो इस पूरे मामले में पारदर्शिता बनाए रखना चाहता है। जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर और नकदी वाला मामला दो अलग-अलग चीजें हैं, और इन्हें एक साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
- जांच के नतीजे ही तय करेंगे आगे का कदम: कोर्ट ने कहा कि अभी जांच चल रही है, और आगे का कोई भी कदम जांच के नतीजों पर निर्भर करेगा।

क्या है पिछले केसों का रेफरेंस?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 2015 के एक केस का जिक्र किया, जिसमें अतिरिक्त जिला जज ‘X’ बनाम रजिस्ट्रार जनरल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को याद किया गया। इस फैसले में कहा गया था कि ऐसे मामलों में जांच प्रक्रिया निष्पक्ष और पक्षपात रहित होनी चाहिए।
क्या है निष्कर्ष?
दोस्तों, अगर आप इस पूरे मामले को लेकर कंफ्यूज हैं, तो याद रखिए कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर और नकदी वाला मामला दो अलग-अलग चीजें हैं। अभी जांच चल रही है, और आगे का कोई भी कदम जांच के नतीजों पर निर्भर करेगा। तो, अफवाहों पर ध्यान न दें, और सच्चाई का इंतज़ार करें।
तो दोस्तों, कैसा लगा ये आर्टिकल? अगर आपको लगता है कि ये जानकारी उपयोगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। और हां, जस्टिस यशवंत वर्मा और Delhi High Court Judge से जुड़ी कोई भी अपडेट मिलती है, तो हम आपको सबसे पहले बताएंगे। बने रहिए हमारे साथ!
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